काशीपुर, 19 मई 2023- आईआईएम काशीपुर में आज मैनेजमेंट एजुकेशन और रिसर्च सेमिनार (एमईआरसी) की शुरुआत हुई। तीन दिवसीय यह संगोष्ठी 21 मई 2023 तक...
काशीपुर, 19 मई 2023- आईआईएम काशीपुर में आज मैनेजमेंट एजुकेशन और रिसर्च सेमिनार (एमईआरसी) की शुरुआत हुई। तीन दिवसीय यह संगोष्ठी 21 मई 2023 तक चलेगी और इस दौरान शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के बीच महत्वपूर्ण संवाद सत्रों का आयोजन किया जाएगा।
प्रोफेसर रामाधार सिंह, पीएचडी (पड्र्यू) प्रोफेसर, आॅर्गनाइजेशनल बिहेवियर एरिया रिसर्च इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि हैं। एमईआरसी डॉक्टरेट छात्रों के लिए अपने साथियों, पेशेवरों और अन्य इच्छुक लोगों के समक्ष अपने शोध प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण प्लेटफाॅर्म है। साथ ही, इस तरह के आयोजन से डॉक्टरेट छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों के अन्य विद्वानों के साथ संवाद करने, सहयोग करने और नेटवर्क बनाने के अवसर भी मिलते हैं।
पेपर प्रेजेंटेशन के अलावा, एमईआरसी 2023 में शोध पद्धति पर कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाएगा, ताकि प्रतिभागियों को उनकी शोध पद्धति और कार्यप्रणाली में सुधार करने में मदद मिल सके। अंतःविषय अनुसंधान और जलवायु परिवर्तन और सस्टेनेबिलटी जैसे विषयों पर पैनल चर्चा होगी। यह प्लेटफाॅर्म इच्छुक शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के बीच विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र के लिए पुरस्कार, प्रकाशन संबंधी अवसरों को साझा करना, प्रकृति भ्रमण और नेटवर्किंग जैसे अवसर भी मिलेंगे। अनौपचारिक कार्यक्रमों के माध्यम से इस इवेंट के जरिये एक रोमांचक और खुशनुमा अनुभव हासिल किया जा सकेगा। प्रतिभागियों को नैनीताल की सैर के बहाने कुदरती नजारों के बीच थोड़ा वक्त गुजारने और पहाड़ों की वादियों के बीच सुकून भरे पल बिताने का अवसर भी मिलेगा।
इस संगोष्ठी के लिए देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों से लगभग 100 शोध पत्र प्राप्त हुए हैं। ये शोध पत्र ओबीएचआर, आईटी, अर्थशास्त्र, फाइनेंस, मार्केटिंग, संचालन और सामरिक प्रबंधन जैसे विषयों पर आधारित हैं। इस तरह एमईआरसी ने शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के लिए राष्ट्रीय स्तर के सहयोगी मंच के रूप में खुद को स्थापित किया है।
मुख्य अतिथि प्रो. रामाधार सिंह ने प्रमुख वक्ता के तौर पर अपने उद्बोधन में रिसर्च की दुर्दशा, अर्थ और सही प्रतिमानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने एक प्रस्तुति के माध्यम से शिक्षा संबंधी समग्र इको सिस्टम में रिसर्च के महत्व को समझाया। उन्होंने अनुसंधान प्रभावशीलता मानदंड और अनुसंधान प्रक्रिया के दौरान शोधकर्ताओं के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की और इस बारे में भी समाधान सुझाए कि कोई कैसे सही पर्यवेक्षक का चयन कर सकता है और किस तरह अधिकृत आंकड़े एकत्र कर सकता है। उन्होंने शोध छात्रों को सलाह दी कि वे रिसर्च के दौरान आने वाली तमाम मुश्किलों का हंसते-हंसते सामना करें।
आईआईएम काशीपुर के डायरेक्टर प्रोफेसर कुलभूषण बलूनी ने कहा, ''आईआईएम काशीपुर ने रिसर्च प्रोजेक्ट्स की संख्या में भारी वृद्धि के साथ अपनी अलग जगह बनाई है। हमारे प्रकाशन 2019 में 15 थे जो अब बढ़कर पिछले कैलेंडर वर्ष में 98 हो गए हैं। मैं गर्व से कह सकता हूं कि संदर्भों में भी चार गुना वृद्धि हुई है। स्कोपस डाटाबेस का उपयोग करते हुए, आईआईएम काशीपुर में संदर्भों की उच्चतम वृद्धि दर है, जो पिछले कैलेंडर वर्ष में लगभग 200 प्रतिशत रही। चूंकि आईआईएम काशीपुर अनुसंधान पर अत्यधिक केंद्रित है, ऐसे में हम एमईआरसी की मेजबानी करने को लेकर बेहद उत्साहित हैं। हम जानते हैं कि इस तरह के आयोजनों के दौरान प्रबंधन शिक्षा और अनुसंधान में नवीनतम विकास पर शिक्षा और उद्योग के विशेषज्ञों के बीच महत्वपूर्ण चर्चाएं होती हैं। यह आयोजन नेटवर्किंग और ज्ञान साझा करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा, और हम अपने मेहमानों का हमारे खूबसूरत परिसर में स्वागत करने के लिए तत्पर हैं।''
इस संगोष्ठी के दौरान अनेक कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाएगा, और इनमें मैनेजमेंट में बेहतर शोध और इससे जुड़े संबंधित पहलुओं और अकादमिक लेखन पर चर्चा की जाएगी।
इस संगोष्ठी में देश भर के डॉक्टरेट विद्वान और शोधकर्ता और मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट शामिल हो रहे हैं। शामिल होने वाले संस्थानों में प्रमुख हैं- आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम विशाखापत्तनम, आईआईएम कलकत्ता, आईआईएम बैंगलोर, आईआईएम इंदौर, आईआईएम शिलांग, आईआईएम रोहतक, आईआईएम बोधगया, आईआईएम संबलपुर, आईआईएम रांची, आईआईएम नागपुर, आईआईएम काशीपुर, एक्सएलआरआई, एमडीआई गुड़गांव, बिट्स पिलानी, फोरे स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, हैदराबाद विश्वविद्यालय, आईआईटी मद्रास और एनआईटी दुर्गापुर। उद्घाटन समारोह में लगभग 150 लोगों ने भाग लिया जिनमें डॉक्टरेट विद्वान, शोधकर्ता, विशेषज्ञ पैनलिस्ट, और संस्थान के संकाय और कर्मचारी सदस्य शामिल थे।
प्रोफेसर रामाधार सिंह, पीएचडी (पड्र्यू) प्रोफेसर, आॅर्गनाइजेशनल बिहेवियर एरिया रिसर्च इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि हैं। एमईआरसी डॉक्टरेट छात्रों के लिए अपने साथियों, पेशेवरों और अन्य इच्छुक लोगों के समक्ष अपने शोध प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण प्लेटफाॅर्म है। साथ ही, इस तरह के आयोजन से डॉक्टरेट छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों के अन्य विद्वानों के साथ संवाद करने, सहयोग करने और नेटवर्क बनाने के अवसर भी मिलते हैं।
पेपर प्रेजेंटेशन के अलावा, एमईआरसी 2023 में शोध पद्धति पर कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाएगा, ताकि प्रतिभागियों को उनकी शोध पद्धति और कार्यप्रणाली में सुधार करने में मदद मिल सके। अंतःविषय अनुसंधान और जलवायु परिवर्तन और सस्टेनेबिलटी जैसे विषयों पर पैनल चर्चा होगी। यह प्लेटफाॅर्म इच्छुक शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के बीच विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र के लिए पुरस्कार, प्रकाशन संबंधी अवसरों को साझा करना, प्रकृति भ्रमण और नेटवर्किंग जैसे अवसर भी मिलेंगे। अनौपचारिक कार्यक्रमों के माध्यम से इस इवेंट के जरिये एक रोमांचक और खुशनुमा अनुभव हासिल किया जा सकेगा। प्रतिभागियों को नैनीताल की सैर के बहाने कुदरती नजारों के बीच थोड़ा वक्त गुजारने और पहाड़ों की वादियों के बीच सुकून भरे पल बिताने का अवसर भी मिलेगा।
इस संगोष्ठी के लिए देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों से लगभग 100 शोध पत्र प्राप्त हुए हैं। ये शोध पत्र ओबीएचआर, आईटी, अर्थशास्त्र, फाइनेंस, मार्केटिंग, संचालन और सामरिक प्रबंधन जैसे विषयों पर आधारित हैं। इस तरह एमईआरसी ने शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के लिए राष्ट्रीय स्तर के सहयोगी मंच के रूप में खुद को स्थापित किया है।
मुख्य अतिथि प्रो. रामाधार सिंह ने प्रमुख वक्ता के तौर पर अपने उद्बोधन में रिसर्च की दुर्दशा, अर्थ और सही प्रतिमानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने एक प्रस्तुति के माध्यम से शिक्षा संबंधी समग्र इको सिस्टम में रिसर्च के महत्व को समझाया। उन्होंने अनुसंधान प्रभावशीलता मानदंड और अनुसंधान प्रक्रिया के दौरान शोधकर्ताओं के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की और इस बारे में भी समाधान सुझाए कि कोई कैसे सही पर्यवेक्षक का चयन कर सकता है और किस तरह अधिकृत आंकड़े एकत्र कर सकता है। उन्होंने शोध छात्रों को सलाह दी कि वे रिसर्च के दौरान आने वाली तमाम मुश्किलों का हंसते-हंसते सामना करें।
आईआईएम काशीपुर के डायरेक्टर प्रोफेसर कुलभूषण बलूनी ने कहा, ''आईआईएम काशीपुर ने रिसर्च प्रोजेक्ट्स की संख्या में भारी वृद्धि के साथ अपनी अलग जगह बनाई है। हमारे प्रकाशन 2019 में 15 थे जो अब बढ़कर पिछले कैलेंडर वर्ष में 98 हो गए हैं। मैं गर्व से कह सकता हूं कि संदर्भों में भी चार गुना वृद्धि हुई है। स्कोपस डाटाबेस का उपयोग करते हुए, आईआईएम काशीपुर में संदर्भों की उच्चतम वृद्धि दर है, जो पिछले कैलेंडर वर्ष में लगभग 200 प्रतिशत रही। चूंकि आईआईएम काशीपुर अनुसंधान पर अत्यधिक केंद्रित है, ऐसे में हम एमईआरसी की मेजबानी करने को लेकर बेहद उत्साहित हैं। हम जानते हैं कि इस तरह के आयोजनों के दौरान प्रबंधन शिक्षा और अनुसंधान में नवीनतम विकास पर शिक्षा और उद्योग के विशेषज्ञों के बीच महत्वपूर्ण चर्चाएं होती हैं। यह आयोजन नेटवर्किंग और ज्ञान साझा करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा, और हम अपने मेहमानों का हमारे खूबसूरत परिसर में स्वागत करने के लिए तत्पर हैं।''
इस संगोष्ठी के दौरान अनेक कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाएगा, और इनमें मैनेजमेंट में बेहतर शोध और इससे जुड़े संबंधित पहलुओं और अकादमिक लेखन पर चर्चा की जाएगी।
इस संगोष्ठी में देश भर के डॉक्टरेट विद्वान और शोधकर्ता और मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट शामिल हो रहे हैं। शामिल होने वाले संस्थानों में प्रमुख हैं- आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम विशाखापत्तनम, आईआईएम कलकत्ता, आईआईएम बैंगलोर, आईआईएम इंदौर, आईआईएम शिलांग, आईआईएम रोहतक, आईआईएम बोधगया, आईआईएम संबलपुर, आईआईएम रांची, आईआईएम नागपुर, आईआईएम काशीपुर, एक्सएलआरआई, एमडीआई गुड़गांव, बिट्स पिलानी, फोरे स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, हैदराबाद विश्वविद्यालय, आईआईटी मद्रास और एनआईटी दुर्गापुर। उद्घाटन समारोह में लगभग 150 लोगों ने भाग लिया जिनमें डॉक्टरेट विद्वान, शोधकर्ता, विशेषज्ञ पैनलिस्ट, और संस्थान के संकाय और कर्मचारी सदस्य शामिल थे।
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