ग्रुप चेयरमैन डॉ. मुर्डिया ने आगामी 10 वर्षों की योजना की साझा उदयपुर। निःसंतानता की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है, हर 6 में से एक दम्पती इस...
ग्रुप चेयरमैन डॉ. मुर्डिया ने आगामी 10 वर्षों की योजना की साझा
उदयपुर। निःसंतानता की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है, हर 6 में से एक दम्पती इससे प्रभावित हो रहा हैं लेकिन निःसंतानता को भारत से समाप्त करने का प्रण लेकर झीलों की नगरी से शुरू हुई इन्दिरा आईवीएफ की यात्रा ने 11 वर्षों का सफर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। जागरूकता, सटिक उपचार और उच्च सफलता के साथ एक लाख आईवीएफ पूरे करने का गौरव हासिल करने वाली इन्दिरा आईवीएफ ने उदयपुर में स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर इन्दिरा आईवीएफ उदयपुर में "गिफ्ट अ न्यू लाईफ" थीम पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रुप चेयरमैन डॉ. अजय मुर्डिया, सीईओ तथा सह-संस्थापक डॉ. क्षितिज मुर्डिया, निदेशक तथा सह-संस्थापक नितिज मुर्डिया, चीफ क्लीनिकल एंड लैब ऑपरेशंस डॉ. विपिन चन्द्रा, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. तरूणा झाम्ब सहित पूरा स्टाफ उपस्थित रहा । इस मौके पर केक काटा गया तथा यादगार सफर में साथ देने के लिए डॉ. विपिन चन्द्रा ने सभी धन्यवाद दिया।
ग्रुप चेयरमैन डॉ. अजय मुर्डिया ने पूरे देश को बधाई और धन्यवाद देते हुए कहा कि निःसंतान दम्पतियों के विश्वास और प्यार की बदौलत आज इन्दिरा आईवीएफ 21 राज्यों में 108 केन्द्रों के साथ देश की सबसे बड़ी फर्टिलिटी चैन बनने का गौरव हासिल कर पाया है। केन्द्रों के विस्तार पर बताते हुए उन्होंने कहा कि आगामी दस वर्षों में हर 200 किलोमीटर की दूरी पर निःसंतानता उपचार केन्द्र खोलने की योजना है ताकि दम्पती को अपने आसपास ही विश्वस्तरीय इलाज उपलब्ध हो।
इन्दिरा आईवीएफ के सीईओ तथा सह-संस्थापक डॉ. क्षितिज मुर्डिया ने कहा पिछले दो दशकों में आईवीएफ की मांग वैश्विकक स्तर पर काफी बढ़ी है। भारत में आईवीएफ उपचार को काफी पसंद किया जा रहा है। देश में आईवीएफ सर्विस का मार्केट साइज जो 2020 में 793 मीलियन अमेरिकी डॉलर था, जो बढ़ती मांग को देखते हुए 2030 में 3721 मीलियन डॉलर होने की संभावना है। लोग अब निःसंतानता उपचार को सहजता से अपनाने लगे हैं। ग्रुप ने नवीनतम सहायक प्रजनन तकनीकों जिसमें इलेक्ट्रॉनिक विटनेसिंग सिस्टम, क्लोज्ड वर्किंग चैम्बर, माइक्रोफ्लुइडिक्स के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर ध्यान केन्द्रित किया है जिससे दम्पतियों को सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है। साथ ही उन्होंने कहा कि दम्पती को रियायती दरों में उच्चस्तरीय निःसंतानता उपचार सेवाएं उपलब्ध करवाना हमारा लक्ष्य है ताकि उन पर आर्थिक बोझ नहीं पड़े।
निदेशक तथा सह-संस्थापक नितिज मुर्डिया ने कहा कि देश में 28 मीलियन से अधिक दम्पती निःसंतान हैं लेकिन ज्यादातर आईवीएफ उपचार प्रमुख शहरों में ही उपलब्ध है, इस कारण देश का बड़ा तबका निःसंतानता के इलाज से वंचित रह जाता है इसलिए हमने ज्यादातर केन्द्र टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में शुरू किये हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि आईवीएफ की सफलता दर काफी हद तक अत्याधुनिक तकनीकों और उन्नत लैब पर भी निर्भर करती है। उन्होंने नवीन आविष्कारों पर जोर देते हुए कहा कि आज के दौर में आईवीएफ में 70-75 प्रतिशत सफलता दर प्राप्त की जा सकती है।
ग्रुप चेयरमैन डॉ. अजय मुर्डिया ने पूरे देश को बधाई और धन्यवाद देते हुए कहा कि निःसंतान दम्पतियों के विश्वास और प्यार की बदौलत आज इन्दिरा आईवीएफ 21 राज्यों में 108 केन्द्रों के साथ देश की सबसे बड़ी फर्टिलिटी चैन बनने का गौरव हासिल कर पाया है। केन्द्रों के विस्तार पर बताते हुए उन्होंने कहा कि आगामी दस वर्षों में हर 200 किलोमीटर की दूरी पर निःसंतानता उपचार केन्द्र खोलने की योजना है ताकि दम्पती को अपने आसपास ही विश्वस्तरीय इलाज उपलब्ध हो।
इन्दिरा आईवीएफ के सीईओ तथा सह-संस्थापक डॉ. क्षितिज मुर्डिया ने कहा पिछले दो दशकों में आईवीएफ की मांग वैश्विकक स्तर पर काफी बढ़ी है। भारत में आईवीएफ उपचार को काफी पसंद किया जा रहा है। देश में आईवीएफ सर्विस का मार्केट साइज जो 2020 में 793 मीलियन अमेरिकी डॉलर था, जो बढ़ती मांग को देखते हुए 2030 में 3721 मीलियन डॉलर होने की संभावना है। लोग अब निःसंतानता उपचार को सहजता से अपनाने लगे हैं। ग्रुप ने नवीनतम सहायक प्रजनन तकनीकों जिसमें इलेक्ट्रॉनिक विटनेसिंग सिस्टम, क्लोज्ड वर्किंग चैम्बर, माइक्रोफ्लुइडिक्स के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर ध्यान केन्द्रित किया है जिससे दम्पतियों को सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है। साथ ही उन्होंने कहा कि दम्पती को रियायती दरों में उच्चस्तरीय निःसंतानता उपचार सेवाएं उपलब्ध करवाना हमारा लक्ष्य है ताकि उन पर आर्थिक बोझ नहीं पड़े।
निदेशक तथा सह-संस्थापक नितिज मुर्डिया ने कहा कि देश में 28 मीलियन से अधिक दम्पती निःसंतान हैं लेकिन ज्यादातर आईवीएफ उपचार प्रमुख शहरों में ही उपलब्ध है, इस कारण देश का बड़ा तबका निःसंतानता के इलाज से वंचित रह जाता है इसलिए हमने ज्यादातर केन्द्र टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में शुरू किये हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि आईवीएफ की सफलता दर काफी हद तक अत्याधुनिक तकनीकों और उन्नत लैब पर भी निर्भर करती है। उन्होंने नवीन आविष्कारों पर जोर देते हुए कहा कि आज के दौर में आईवीएफ में 70-75 प्रतिशत सफलता दर प्राप्त की जा सकती है।
COMMENTS