एपिकॉन-2022ः शरीर में सोडियम के महत्व को बताया गया जयपुर, 16 अप्रैल, 2022। एपिकॉन-2022, 77वे एनुअल कॉन्फ्रेंस, जेईसीसी में आज त...
जयपुर, 16 अप्रैल, 2022। एपिकॉन-2022, 77वे एनुअल कॉन्फ्रेंस, जेईसीसी में आज तीसरे दिन शनिवार को आयोजित सत्र में ओर्गनइजिंग चेयरमैन, डॉ. के.के. पारीक ने बताया कि सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में सीनियर प्रॉफेसर और एपिकॉन के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ पुनीत सक्सेना ने ‘हाइपोनेट्रेमिया हाऊ इम्पॉरटेंट इन क्लीनिकल मेडिसिन‘ विषयान्तर्गत अपने व्याख्यान में बताया कि हाइपोनेट्रेमिया सुनने में कोई भारी-भरकम मेडिकल टर्म जान पड़ता है, जबकि सच तो ये है कि ये हमारे शरीर और सेहत से जुड़ी इतनी बुनियादी बात है कि इसके बारे में सबको पता होना चाहिए। मेडिसिन की भाषा में हाइपोनेट्रेमिया का अर्थ है लो सोडियम कॉन्सनट्रेशन इन ब्लड। सामान्य शब्दों में कहें तो शरीर में सोडियम की कमी हो जाना। सोडियम एक ऐसा जरूरी तत्व है, जो हृदय, कोशिकाओं और किडनी के फंक्शन को सुचारू बनाए रखने के लिए जरूरी है।
शरीर में सोडियम का महत्वः डॉ. सक्सेना ने बताया कि सोडियम हमारे शरीर में कोशिकाओं के चारों ओर एक ऐसा घेरा बनाता है, जो उन कोशिकाओं की फंक्शनिंग में मददगार होता है. जब हम जरूरत से ज्यादा पानी पीते हैं तो उस पानी के साथ घुलकर सोडियम किडनी के रास्ते शरीर से बाहर निकलने लगता है। अगर यह प्रक्रिया देर तक और लम्बी चले तो शरीर में सोडियम की कमी हो सकती है। सोडियम इतना जरूरी है कि अगर लम्बे समय तक उसकी ज्यादा कमी बनी रहे तो कोशिकाएं निष्क्रिय हो सकती हैं और व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है।
उन्होंने बताया कि लगातार उल्टी या दस्त के कारण गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल लॉस के मामलों में देखा गया है, जैसे कि डिप्लेशनल हाइपोनेट्रेमिया द्रव और नमक के कम स्तर को दर्शाता है। रक्त के बहुत अधिक पतला होने (कमजोर हाइपोनेट्रेमिया) के कारण हाइपोनेट्रेमिक अवस्था भी हो सकती है। यह बहुत अधिक तरल पदार्थ के सेवन के कारण हो सकता है। एक अन्य कारण पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा एंटीडाययूरेटिक हार्मान की अत्यधिक निकलना है, जिसे अनुचित एंटीडाययूरेटिक हार्मान (एसआईएडीएच) के सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। यह महत्वपूर्ण है कि सोडियम का स्तर धीरे-धीरे समायोजित किया जाता है क्योंकि तेजी से सुधार सेन्ट्रल पोंटीन मायलिनोलिसिस (सीपीएम) का उच्च जोखिम हो सकता है, जिसे ऑस्मोटिक डिमाइलिनेशन सिंड्रोम भी कहा जाता है। इस स्थिति के लक्षणों में डिस्पैगिया, जोड़ों में दर्द या डिसरथ्रिया, दौरे, भ्रम, चेतना की हानि और चारों अंगों का पक्षाघात शामिल हैं। ये लक्षण जल्द ही पकड़ में नहीं आते। यह लक्षण आमतौर पर 1 से 3 दिनों के बाद शुरू होते हैं जब प्लाज्मा सोडियम बहुत जल्दी ठीक हो जाता है। जिन रोगियों में लक्षण विकसित होते हैं और जिनका रक्त सोडियम स्तर 125 उउवसध्स से कम होता है, उनके लिए समय पर उपचार आवश्यक है।
हाइपोनेट्रेमिया के लक्षण
हाइपोनेट्रेमिया यानि शरीर में सोडियम कॉन्सनट्रेट का कम हो जाना कई रूपों में प्रकट होता है. अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो तो उसे नजरंदाज न करें। सिरदर्द या माइग्रेन, भूख न लगना, लम्बे समय तक और लगातार बनी रहने वाली थकान, खाना खाने के बाद उल्टी आना, चक्कर जैसा महसूस होना, बैठे हुए भी ऐसा लगे कि सिर घूम रहा है, मतिभ्रम यानी भूलभुलैया का शिकार होना, याददास्त कमजोर होना ये सब हाइपोनेट्रेमिया के लक्षण है। सरल शब्दों में कहें तो आपके शरीर में सोडियम की कमी है। इस कमी को पूरा करने के लिए ज्यादा मात्रा में सोडियम का सेवन करें और पानी पिएं, लेकिन संतुलित मात्रा में जरूरत से ज्यादा नहीं।
क्या है हाइपरग्लेसेमिया
इससे पूर्व आयोजित सत्र में डॉ. शैलेश लोढ़ा और चेन्नई से आए डॉ. विजय विश्वनाथन ने प्रिवेंशन ऑफ डायबिटिक कॉम्पलीकेशन्सः इण्डियन एक्सपीरिएंस पर चर्चा करते हुए इसके सामाजिक आर्थिक विकास पर पड़ने वाले प्रभाव तथा इसके इलाज पर होने वाले खर्च, हाइपरग्लेसेमिया एण्ड वैस्कुलर आउटकम, मेटाबॉलिक मेमोरी सहित अन्य विषयों पर विशद जानकारी दी। इसके अलवा एम्प्यूटेशन कॉज एण्ड पैटर्न, डायबिटिक फुट केयर पर किए गए अपने तथा अन्य विशेषज्ञ फिजीशियन्स के शोधों के आधार पर प्रेजेन्टेशन के माध्यम से उपस्थित चिकित्सकों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब किसी व्यक्ति के शरीर में जरूरत के अनुसार इंसुलिन लेवल बनना बंद हो जाता है और बने हुए इंसुलिन का भी इस्तेमाल सही तरीके से नहीं कर पाता है, तो इस स्थिति में आप हाइपरग्लेसेमिया से ग्रस्त हो सकते हैं। यदि आप पहले से ही डायबिटीज के मरीज हैं और अपने खानपान, दवाओं के सेवन में लापरवाही बरते हैं, तो आपको हाइपरग्लेसेमिया की समस्या हो सकती है।
आयोजित एक सत्र में एस एम एस हॉस्पिटल के सीनियर प्रोफेसर डॉ. रमन शर्मा ने डेंगू और स्क्रब टायफोस के बढ़ते हुए मामलों और उनके इलाज के बारे मे बताया।
दीक्षांत समारोह : इण्डियन कॉलेज ऑफ फिजीशियन्स का 33वां दीक्षांत समारोह भी आयोजित किया गया जिसमें 87 चिकित्सकों को वर्ष 2021 और 2022 की फैलोशिप अवॉर्ड की गई। इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. डीबी पहलजानी थे वहीं अध्क्षता डॉ. श्याम सुन्दर ने की। डीन डॉ अलाका देशपाण्डे ने बताया कि वर्ष 2021 में विभिन्न जोन्स के 5 मास्टर टीचर अवॉर्ड एव 2022 के लिए 3 डॉक्टरों को मास्टर टीचर अवॉर्ड दिया गया। जिसमें वाइस चांसलर आरयूएचएस डॉ सुधीर भण्डारी भी शामिल थे।
वोकाथन का आयोजन : एपिकॉन के दौरान वोकाथन का आयोजन एपीआई और जयपुर हार्ट इंस्टीट्यूट के संयुक्त तत्वावधान में वोकाथन का आयोजन किया गया। जिसमें एपिकॉन में आए 200 चिकित्सकों ने वॉक के माध्यम से लोगों को पैदल चलने का महत्व बताया। वोकाथन राजस्थान के प्रख्यात धावक गोपाल सैनी के नेतृत्व में हुआ। इस मोके पर जयपुर हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉ. जी.एल. शर्मा ने बताया कि पैदल चलना हर इंसान के लिए काफी जरूरी है इससे दिल की रिदम बरकार रहती है तथा, डायबिटीज जैसे खतरों से बचा जा सकता है।
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