जयपुर हैरिटेज की महापौर बदलने और मुस्लिम मेयर बनाने को लेकर दो दर्जन से ज्यादा पार्षदों ने किए हस्ताक्षर जयपुर कांग्रेस में जबर...
जयपुर हैरिटेज की महापौर बदलने और मुस्लिम मेयर बनाने को लेकर दो दर्जन से ज्यादा पार्षदों ने किए हस्ताक्षर
जयपुर कांग्रेस में जबरदस्त खेमेबाजी, शह-मात के खेल में कई मोहरे दिखा रहे दमखम
जयपुर। जयपुर शहर कांग्रेस में वर्चस्व की लडाई अब खुलकर सामने आ गई है। विधायक एक दूसरे के क्षेत्र में दखल देने को लेकर सीधे एक-दूसरे को चुनौती देने लगे हैं। इतना ही नहीं इस वर्चस्व की लडाई में अब निशाना जयपुर हैरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर बन चुकी है और उन्हें हटाने के लिए तीन विधायकों हाथ मिला लिए हैं और इसके साथ ही पार्षदों से हस्ताक्षर करवा कर महापौर को हटाने का अभियान शुरू किया जा चुका है। वैसे इतना तय है कि यह लडाई जयपुर शहर कांग्रेस के हालात को सड़क पर बयां करती दिख रही है। इतना ही नहीं इस पूरी लड़ाई में जयपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद का मामला भी है। जिसको लेकर अभी पूरी खींचतान मची हुई है। इस शह-मात के खेल में अब कई मोहरे पर्दे के पीछे चाल चल रहे है।
इस समय कांग्रेस के 5 विधायक हैं और इन 5 में से 3 विधायकों ने, जिनमें एक मंत्री हैं, हाथ मिला चुके हैं। हालांकि कहने के लिए कोई भी इस तरह की लड़ाई की हामी नहीं भर रहा है, लेकिन पिछले दिनों चले घटनाक्रमों को जोड़कर देखा जाए तो स्थिति बहुत ही स्पष्ट है कि जयपुर शहर कांग्रेस की लडाई खुलकर सामने आ चुकी है। अब शह-मात का खेल शुरू हो चुका है। इस खेल में अब मुस्लिम को महापौर बनाने के लिए पत्ते चले गए हैं। यदि मुस्लिम महापौर बनता है तो मिलाने वाले तीन विधायक कहेंगे कि हमने मुस्लिम को महापौर बना दिया और यदि मुस्लिम महापौर नहीं बनता है तो दूसरे पक्ष को दोष दिया जाएगा कि उसकी वजह से मुस्लिम महापौर नहीं बना। इस खेल में राज्य के काबिना मंत्री महेश जोशी सबसे ज्यादा परेशानी में नजर आ रहे हैं। वैसे इस लड़ाई की शुरुआत उस दिन हो गई थी, जब जयपुर शहर में दो काबीना मंत्री बने और उसी के साथ एक मंत्री के अधिकार या यूं कहें ताकत को कम कर दिया गया। उसी दौरान कुछ ऐसे घटनाक्रम घटे, जिसका असर जयपुर शहर कांग्रेस की राजनीति पर पड़ना शुरू हो गया। इस बीच जयपुर शहर में एक क्रिकेट प्रतियोगिता की शुरुआत होना और उसके केन्द्र में काबीना मंत्री महेश जोशी का तथा उसी प्रतियोगिता में मुस्लिमों के पवित्र स्थल कर्बला में पिच बनाने का विवाद उठना। वह भी तब जबकि वक्फ बोर्ड ने बाकायदा लिखकर प्रशासन को आगाह किया कि वक्फ की संपत्ति पर कराए गए पक्के पिच को तुरंत हटाया जाए। इसके बावजूद प्रशासन ने कर्बला में मैच कराने वालों को सुरक्षा प्रदान कर दी और जो लोग उसके खिलाफ थे, उनके खिलाफ पुलिस एक्शन किया। यह बात ज्यादा बढ़ गई और फिर एक निर्दलीय पार्षद ने तुरंत कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया तो बाकी बचे हुए 8 निर्दलीय पार्षदों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए समितियों का तुरंत गठन करने और नहीं होने पर समर्थन वापस लेने की धमकी दे डाली।
इस मौके पर जयपुर से काबीना मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने इन निर्दलीय पार्षदों को बुलाकर समझाने की बात कही। वहीं प्रताप सिंह खाचरियावास ने महापौर मुनेश गुर्जर पर भी निशाना साधा और कहा कि इन निर्दलीय पार्षदों ने समर्थन कांग्रेस के हाथ पर दिया है महापौर के चेहरे पर नहीं। हालांकि यह स्क्रिप्ट पहले से लिख दी गई थी। फिर जैसे ही कर्बला प्रकरण उठा और कांग्रेस के विधायकों को लगा कि अब मुस्लिमों में इस प्रकरण को लेकर नाराजगी बढ़ रही है, तो जैसे ही मुस्लिम नेताओं पर पुलिस का डंडा चलता दिखा, वैसे ही 2 विधायकों रफीक खान और अमीन कागज़ी ने तुरंत सामने आकर पुलिस कार्यवाही को गलत करार दिया और मुस्लिम नेताओं के पक्ष में आ गए। काबीना मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी इस मामले में पुलिसिया कार्यवाही को गलत बता दिया। ऐसे में स्पष्ट हो गया कि एक और काबीना मंत्री महेश जोशी है तो दूसरी ओर काबीना मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास और दो विधायक रफीक खान और अमीन कागजी हैं। इसके बाद खेमेबंदी स्पष्ट नजर आने लगी।
इस बीच मुस्लिमों की नाराजगी को देखते हुए एक पक्ष ने जयपुर हेरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर को हटाकर मुस्लिम वर्ग की महापौर बनाने का अभियान शुरू कर दिया और बाकायदा इसके लिए हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत 25 जनवरी को कर दी गई। बताया जाता है। कि करीब दो दर्जन पार्षद एकजुट हो चुके हैं और अपनी ताकत दिखाकर वे महापौर को बदलने की तैयारी कर रहे है।
यदि ऐसा होता है तो इस पूरे प्रकरण का दोष महेश जोशी पर डालने की तैयारी है। हालांकि महेश जोशी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गुडबुक्स में हैं। ऐसे में उन पर इसका बड़ा प्रभाव नहीं जाएगा, लेकिन यदि इस तैयारी के बाद महापौर नहीं बदला जाता है तो महेश जोशी के खिलाफ यह बात मुस्लिम समाज में जाएगी कि मुस्लिम महापौर को बनाए जाने की जो तैयारी की गई थी, वह तैयारी महेश जोशी के कारण अधूरी रह गई और यदि मुस्लिम महापौर बनाने में एक खेमा सफल हो जाता है तो संदेश जाएगा कि उन्होंने मुस्लिम समाज को आगे बढ़ाया है। ऐसे में अब यह लड़ाई काफी रोचक हो चुकी है और आने वाले दिनों में इस लड़ाई के कुछ और रंग देखने को मिल सकते हैं।
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