राज्य सरकार से आबकारी नीति में बदलाव और छूट की मांग जयपुर, 10 अक्टूबर। प्रदेशभर के शराब व्यापारियों की रविवार को एक बैठक का आयो...
जयपुर, 10 अक्टूबर। प्रदेशभर के शराब व्यापारियों की रविवार को एक बैठक का आयोजन जयपुर में हुआ और व्यापारियों ने राज्य सरकार की नई आबकारी नीति पर रोष प्रकट करते हुए इसमें बदलाव की मांग की है। साथ ही अल्टीमेटम देते हुए कहा कि ऐसा नहीं किया गया तो शराब दुकानदार उपचुनाव प्रचार में मुख्यमंत्री का घेराव करेंगे और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौपेंगे। साथ ही जल्द ही राजधानी में मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे।
राज लीकर वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष निलेश मेवाड़ा ने बताया कि लगभग तीन माह से प्रदेशभर के ठेकेदार जिला मुख्यालयों और आबकारी कार्यालयों,गोदामों पर प्रदर्शन कर रहे है,लेकिन सरकार उनकी मांगे नहीं मान नहीं। अब उन्हें राजधानी का कूच करना पड़ रहा है।
कोटा वाइन एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद पारेता ने बताया कि प्रदेश सरकार से अपनी मांगों के लिए कई बार गुहार लगा चुके है, लेकिन कोई हल नही निकल पाया है। ऐसे में अब व्यापारियों को सड़क पर एकत्रित होना पड रहा है। फिर भी हल नहीं निकला तो राज्य सरकार को अपनी दुकानों की चाबियां सौंप देंगे।
शराब ठेकेदार यूनियन झुंझुनूं के अध्यक्ष विजेन्द्र मील का कहना है कि राज्य सरकार ने नई आबकारी नीति में शराब के विक्रय पर हमें 20 से 25 प्रतिशत कमीशन देने का दावा किया था,जबकि हकीकत में हमें 12 से 13 प्रतिशत का ही कमीशन मिल रहा है। उस पर भी कई प्रकार के कर लगा दिए गए है।
शराब व्यापारियों का कहना है कि राज्य सरकार ने लाइसेंस फीस तो समाप्त कर दी,लेकिन उसको नया नाम दे दिया, बेसिक लाइसेंस फीस। जो राजस्थान निर्मित मदीरा पर 881 रूपए प्रति पेटी है,वहीं देशी मदिरा पर 357 रूपए प्रति पेटी अलग से वसूला जा रहे है। इसे राज्य सरकार माफ करे।
वहीं,राज्य सरकार ने हमे शराब की दुकान गारंटी पर दी है,ऐसे में कंपोजिट फीस लेने का कोई ओचित्य नही है,लेकिन व्यापारियों पर यह आर्थिक भार डाला गया है,इसे भी राज्य सरकार माफ करे।
वित्तिय वर्ष 21-22 के शुरूआती माह में इस बार भी कोरोना महामारी का प्रकोप रहा,जिसके चलते प्रदेश में लॉकडाउन रहा और दुकानों को भी सुबह 6 बजे से 11 बजे तक के लिए खोला गया,जो शराब ब्रिकी के लिए उपयुक्त समय नहीं था। राज्य सरकार ने बिक्री की गारंटी 10 घंटे पर तय की थी,लेकिन दुकान मात्र 5 घंटे ही खुल सकी, ऐसे में प्रथम तिमाही की पेनल्टी माफ की जाए और जिन व्यापारियों ने अधिक उठाव किया है,तो अगली तिमाही में समायोजन किया जाए। साथ ही माल की ब्रिकी पर लगे हुए रायडर को भी हटाएं। वहीं,कोरोना काल के दौरान हुई ब्रिकी के नियमों को छूट देते हुए बेसिक गारंटी अलगकृअलग ना माने और इसे उठाए गए माल में समायोजित करे।
शराब दुकान के संचालन में व्यापारी सफल नहीं हो रहे है,तो वे अपनी दुकाने सरेंडर कर रहे है,लेकिन राज्य सरकार ना ही सरेंडर कर रही है और ना ही निरस्त कर रही है। बल्कि व्यापारियों पर जुर्माना बना रही है। आबकारी नीति की विफलता के कारण ही आरटीडीसी, आरएसबीसीएल और आरएसजीसएम के द्वारा संचालित दुकाने भी सरेंडर कर दी है। ऐसे में ठेकेदार कैसे सफल संचालन कर सकता है।
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