पुलिस ने पीडित पक्ष को कर दिया गिरफतार जयपुर। राजधानी के बैनाड रोड इलाके में वर्षों से एक बिल्डर समूह की जमीन पर काबिज किसानों...
जयपुर। राजधानी के बैनाड रोड इलाके में वर्षों से एक बिल्डर समूह की जमीन पर काबिज किसानों को बेदखल करने के लिए उसकी फसलों में आग लगा दी गई। इतना ही नहीं पीडित किसान जब इसकी शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुुंचा तो पुलिस अधिकारियों ने कार्रवाई करने के बजाए पीडितों को ही पुलिस थाने में बंद कर दिया।
इसकी जानकारी देते हुए पीडित पक्ष के सुवालाल ने गुरूवार को पिंकसिटी प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता आयोजित कर बताया कि वर्ष 2005 में कमानी फैक्ट्री के पास 49 बीघा जमीन किराए पर ली गई थी जिसका एग्रीमेंट भी हुआ था। जब यह जमीन ली गई थी तो उस पर काफी मलबा पडा था जिसे किसान परिवार ने कई माह की मेहनत के बाद हटाया। इसका खर्च मांगने पर बिल्डर महेश गुप्ता ने जमीन खाली करते समय पूरा हिसाब करने की बात कही।
16 वर्ष तक बढाया एग्रीमेंट
बिल्डर समूह और किसान परिवार के बीच आपसी सहमति से अब तक जमीन पर खेती किसान परिवार की ओर से की जा रही थी। इस बीच मार्च में बिल्डर के साथ एक वर्ष की अवधि का एग्रीमेंट बढाने भी समहमति बन गई लेकिन कुछ दिनों पूर्व उस जमीन पर किसी अन्य उद्यमी ने अधिक किराया देकर लीज पर लेने की इच्छा जताने के बाद बिल्डर समूह ने जमीन खाली करने का दवाब बनाना शुरू कर दिया। इस पर किसान परिवार ने जमीन पर खडी फसल कटने तक का समय मांगा और बिल्डर ने इस मामले में सहमति भी दे दी।
पांच दर्जन से अधिक लोगों ने किया हमला
इस बीच गत 9 अगस्त को अचानक बिल्डर समूह के कारिन्दे अपने साथ करीब 50—60 लोगों को लेकर वहां आए और परिवार की महिलाओं के साथ मारपीट करने के साथ ही उनके अस्थाई मकानों और फसलों में आग लगा दी। इसकी जानकारी महिलाओं ने बाहर गए पुरूषों को दी तथा मौके पर बुलाया। वहां आने से पहले सभी ने इसकी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम में भी दी और घटना के बाद पीडित परिवार के लोग झोटवाडा थाने गए तो उनकी शिकायत दर्ज करने के बजाए उन्हीं को धारा 151 में बंद कर दिया गया।
नाबालिग को भी थाने में बिठाया
पीडितों ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में बर्बरता दिखाते हुए 14 वर्ष के पीडित के पुत्र को भी थाने में बिठा लिया और उसके साथ मारपीट की। इसकी शिकायत अब मानवाधिकार आयोग और डीजीपी से की जा रही है।
फसल कटने तक समय दें
पीडितों ने बताया कि वे जमीन पर कब्जा नहीं करना चाहते लेकिन उनकी मेहनत से उगाई गई फसल खेतों में पडी है, ऐसे में उन्हें फसल पकने तक का समय दिया जाए और मलबा हटाने के लगे खर्च का भुगतान भी करवाया जाए। इसके बाद किसान परिवार स्वयं ही जमीन छोडकर अन्यत्र चला जाएगा।
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