एसीएस माइंस ने अधिकारियों के साथ किया मंथन जयपुर, 8 जुलाई। राज्य के माइंस विभाग की विजिलेंस विंग के पुनर्गठन की कवायद तेज हो गई ...
जयपुर, 8 जुलाई। राज्य के माइंस विभाग की विजिलेंस विंग के पुनर्गठन की कवायद तेज हो गई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने विभाग की विजिलेंस विंग को प्रभावी और कारगर बनाने के लिए अधिकारियों की टीम के साथ विस्तार से सभी संभावित विकल्पों पर विचार विमर्श किया। उन्होंने अधिकारियों की टीम को विस्तार से सभी संभावित विकल्पों के साथ जल्दी ही रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि विभाग के सामने अवैद्य खनन व परिवहन को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही सरकारी राजस्व की छीजत को रोककर राजस्व को बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्राथमिकताओं में राज्य में खनिजों के विपुल भण्डार को देखते हुए खोज व खनन कार्य को बढ़ाना है। गहलोत ने पिछले दिनों माइंस विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान कोरोना के बावजूद राजस्व बढ़ाने की सराहना की, वहीं उन्होंने खोज व खनन कार्य को और अधिक गति देने के निर्देश दिए। गहलोत ने विभाग की सतर्कता विंग को सशक्त बनाते हुए पुनर्गठन के प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
माइंस एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने भी पिछले दिनों आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक में इस संबंध में आवश्यक निर्देश दिए हैं।
एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि माइंस विभाग की विजिलेंस विंग के पुनर्गठन के लिए केन्द्र व राज्य सरकार के आयकर, राजस्व, कर विभाग सहित इसी तरह के अन्य विभागों की सतर्कता विंग की कार्यप्रणाली का अध्ययन करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार विभाग की विजिलेंस विंग को प्रभावी और संसाधनयुक्त बनाने की दिषा मेें आगे बढ़ रही है। इसके लिए प्रभावी सूचना तंत्र भी विकसित किया जाएगा।
बैठक में निदेशक माइंस केबी पण्ड्या और उपसचिव माइंस नीतू बारुपाल ने भी सुझाव दिए। गौरतलब है कि विभाग के विजिलेंस विंग के पुनर्गठन के सुझाव के लिए अतिरिक्त निदेशक एनके कोठ्यारी, अजय शर्मा, बीएस सोढा, अधीक्षण खनि अभियंता एनएस शक्तावत और खनि अभियंता जोधपुर एसके शर्मा को जिम्मेदारी दी गई है।
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