कोरोना की जंग में आईआईएस विश्वविद्यालय की छात्राएं बनीं शीरोज़ कोरोना से जूझ रहे लोगों की मदद को आईं आईआईएस विश्वविद्यालय की छात...
कोरोना से जूझ रहे लोगों की मदद को आईं आईआईएस विश्वविद्यालय की छात्राएं
छात्राएं कोरोना मरीज़ों को दिलवा रहीं बैड, वेंटिलेटर, प्लाज़मा, ऑक्सीजन
आईआईएस विश्वविद्यालय की छात्राएं बांट रहीं मानवता व खुशियां
14 मई 2021ः जयपुरः जहां एक तरफ नर्सेज़ व डाॅक्टर्स जैसे फ्रंटलाइन वारियर्स हैं जो अपनी जान जोखिम में डालते हुए ड्यूटी निभा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अनेकों ऐसे वाॅलंटियर्स हैं जो अपने-अपने स्तर पर एक दिन में न जाने कितने लोगों के चेहरों पर खुशी बिखेर रहें हैं और पल-पल यह साबित कर रहे हैं कि मानवता अभी भी ज़िंदा है।
“मैंने इतनी लाचारी शायद ही कभी महसूस की होगी जितनी मैंने तब महसूस की जब मुझे पता चला कि थायरोएड और एनीमिया जैसी बीमारी होने के कारण मैं ब्लड या प्लाज़मा नहीं डोनेट कर सकती लेकिन जब मैंने अपने आस-पास कोरोना से जूझते लोगों को देखा और प्लाज़मा थैरेपी की महत्ता का पता चला तो मैंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर सोशल मीडिया पर एक ग्रुप तैयार किया जो मेरी ही तरह सोचते थे और इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद करने के लिए तत्पर थे। बस फिर क्या था लोग मिलते गए और कारवां बनता गया” यह कहानी है आईआईएस डीम्ड विश्वविद्यालय में पढ़ रही बीजेएमसी छठे सेमेस्टर की छात्रा ईशा जुनेजा कि जो तब से लेकर अब तक 550 वाॅलंटियरों की टीम खड़ी कर चुकी है जो विभिन्न कारणों से कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रहे लोगों की मदद कर रहे हैं।
“मैंने व्हाॅट्सएप और इंस्टाग्राम पर तीन ग्रुप बनाएं हैं जो अलग-अलग लेवल पर काम कर रहे हैं। पहला ग्रुप जिसमें 250 से अधिक सदस्य हैं पैन इंडिया ग्रुप है वहीं दूसरे ग्रुप में 270 से अधिक वाॅलंटियर जयपुर व आस-पास की जगहों के लिए काम कर रहे हैं वहीं तीसरे और आखिरी ग्रुप में 30 कोर मेंबर शामिल हैं ये सदस्य अलग-अलग शहरों से हैं और प्लाज़मा, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर्स, बेड्स, दवाईयां आदि ज़रूरतों को पूरा करने में लोगों का सहयोग कर रहे हैं” ईशा मानती हैं चूकिं ऐसे समय में जब घर से बाहर निकलकर लोगों की मदद कर पाना मुश्किल है ऐसे में सोशल मीडिया की भूमिका काफी अहम हो जाती है जिसका उन्होंने भरपूर फायदा उठाया। ईशा का कहना है कि उनके पास दिन में लगभग 30 से 50 केसेज़ आते हैं जिनमें से वो 30 से 40 लोगों की मदद कर पाती हैं। एक किस्सा साझा करते हुए ईशा बताती हैं कि उनके पास जयपुर के जाने-माने बाईक डिज़ाईनर का केस आया जिन्हें अस्पताल में वेंटिलेटर की ज़रूरत थी जो कि जयपुर में सिर्फ एक ही प्राइवेट अस्पताल में मिल सकता था “हमारी लाख कोशिशों के बाद जब हम उसे उपलब्ध कराने में नाकामयाब हुए तब हमनें यह ज़रूरत ट्विटर पर शेयर की जिसके ज़रिए बाॅलीवुड एक्टर और कोरोनाकाल में लोगों का मसीहा सोनू सूद को इसके बारे में पता चला और उन्होंने फौरन हाॅस्पिटल में डाॅक्टर से बात कर वेंटिलेटर बैड का इंतज़ाम करवाया”
यह पहली बार नहीं है कि ईशा किसी काॅज़ से जुड़ी हैं इससे पहले भी ईशा ने कई एनजीओज़ के साथ मिलकर समाजसेवा की है और विश्वविद्यालय की ओर से भी ईशा एनएसएस से जुड़े कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाती रहीं हैं। ईशा कहती हैं कि ऐसे समय में दिमागी संतुलन बरकरार रखना बेहद आवश्यक होता है इसलिए वो दिन के अंत में सभी ग्रुप मेंबर्स के साथ मीटिंग करती हैं और गाने, कविताओं, शेरोशायरी के ज़रिए सभी वाॅलंटियर्स अपना मूड हल्का करते हैं और अगले दिन को झेलने के लिए खुद को तैयार करते हैं।
यह कहानी सिर्फ एक आईआईएसयुएन्स की नहीं है बल्कि ऐसी कई छात्राएं हैं जो अपने-अपने स्तर पर लोगों की मदद कर रही हैं। बीसीए की छात्रा सागरिका विश्वविद्यालय की अन्य छात्राओं के साथ मिलकर कोरोना पेशेन्ट्स की मदद कर रही हैं। “जब मुझे पता चला कि मेरे फ्रेंड के अंकल की हालत कोरोना के चलते काफी गंभीर है और उन्हंे प्लाज़मा की सख्त ज़रूरत है लेकिन काफी जद्दोजहद के बाद भी उन्हें प्लाज़मा नहीं मिल पा रहा है तब मुझे अहसास हुआ कि ऐसे में कोरोना पेशेंट का परिवार खुद को कितना लाचार पाता है। तभी से मैंने ठान लिया कि मैं लोगों की मदद करूंगी और मैंने दो सहेलियों के साथ मिलकर एक ग्रुप तैयार किया और आज हम 14 सदस्य मिलकर लोगों की सहायता कर रहे हैं” सागरिका ने बताया कि किस तरह से उन्होंने 9 साल के बच्चे की मदद की जिसे ओ नेगेटिव प्लाज़मा की ज़रूरत थी। “मदद मिलने के बाद लोगों के चेहरे पर मुस्कान और राहत देखकर जो खुशी मिलती है वही हमारा हौसला बढ़ाती है और अधिक से अधिक लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित करती है”
बीजेएमसी की छात्रा वैभवी ज़रिवाला ने अपने परिवार के साथ मिलकर आस-पास के कोविड पेशेन्ट्स के परिवारों को खाना पहुंचाने की सेवा शुरू की है। यही नहीं वो जानवरों जैसे कि कुत्तों, बंदरों आदि को भी खाना पहुंचाने का काम रही हैं। ऋद्धिमा जैन, सेजल जैन, विधि शर्मा, ईशिता झांब, आर्ची जैन, कीर्ति माथुर जैसी अनेक छात्राएं हैं जो किसी न किसी एनजीओ के साथ मिलकर कोविड पेशेंट्स की मदद कर रहीं हैं।
विश्वविद्यालय की एनसीसी केडेट दीक्षा कंवर ऐसे मुश्किल समय में गरीब परिवारों जिनकी कोरोना की वजह से नौकरी छिन गईं हैं उनमें खाना, बिस्कुट आदि वितरित कर रही हैं। “मेरी जब नज़र झुग्गी झांेपड़ी में रह रहे गरीब परिवारों पर गई तब मैंने उनकी मदद करने का सोचा कि क्यों न एक छोटी सी मदद के ज़रिए उनको मानवता व खुशी बांटी जाए और उनके दुख-दर्द कुछ पल के लिए ही सही पर कम किए जाएं”
आईआईएस विश्वविद्यालय की शीरोज़ भले ही गुमनाम रहकर अपना नाम बना रही हों लेकिन विश्वविद्यालय के चांसलर डाॅ अशोक गुप्ता सहित एक-एक व्यक्ति उनके प्रयासों की सराहना करता है।
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