नवजात शिशुओं के उपचार के प्रति विशेष गम्भीरता बरतें-चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री जयपुर, 10 दिसम्बर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत...
जयपुर, 10 दिसम्बर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज प्राचार्यो को नवजात शिशुओं के उपचार के प्रति विशेष गम्भीरता बरतने के निर्देश दिए हैं।
डॉ. शर्मा ने 9 शिशुओं की मृत्यु की सूचना प्राप्त होते ही स्थानीय प्राचार्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों को घटना की प्रारम्भिक जांच कर तत्काल रिपोर्ट देने के निर्देश दिए एवं कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से जे.के.लोन अस्पताल में 9 शिशुओं की मृत्यु की सूचना पर रिपोर्ट तलब की। इस रिपोर्ट के अनुसार बताये गये 9 शिशुओं में से 3 नवजात शिशु मृत अवस्था में लाये गये तथा 3 नवजात की मृत्यु जन्मजात बीमारी के कारण हुई है, शेष 3 नवजात शिशुओं की मृत्यु चिकित्सकों के अनुसार सीओटी के कारण हुई है।
जे.के. लोन मातृ एवं शिशु चिकित्सालय कोटा के चिकित्सा अधीक्षक ने अपने रिपोर्ट में बताया कि चिकित्सालय में उपचार के लिए आने वाले 9 बच्चों की 10 अक्टूबर को मृत्यु हुई है। इनमें से 3 बच्चे अस्पताल में मृत अवस्था में ही लाये गये थे और उनके परिजनों को तत्काल ही इस संबंध में सूचित कर दिया गया था। इसके अतिरिक्त 3 बच्चे जन्मजात विकृतियों से ग्रस्त थे। शेष 3 बच्चों की सीओटी के कारण मृत्यु हुई है। शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे को घुटन की स्थिति में, दुध पिलाते समय हुई त्रुटि सहित अन्य कारणों को सीओटी के कारण मृत्यु माना जाता है।
चिकित्सा मंत्री डॉ. शर्मा ने अस्पताल प्रशासन को नवजात शिशुओं की समुचित देखभाल सुनिश्चित करने की सख्त हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि उपचार में लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी।
बच्चों की मौत पर लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने जताई चिंता
जेकेलोन चिकित्सालय में एक दिन में नौ नवजात शिशुओं की मौत पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने चिंता व्यक्त की है। लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा है कि पूर्व में भी अस्पताल में बड़ी संख्या में नवजात शिशुओं की मौतें हुई थी। तब भी अस्पताल प्रशासन की मांग के अनुसार केंद्र सरकार व सीएसआर के माध्यम से तमाम चिकित्सा उपकरण व विभिन्न प्रकार के संसाधन उपलब्ध करवाये गए थे। इसके बावजूद अस्पताल में नवजात शिशु एवं प्रसुताओं का सुरक्षित नहीं होना हम सब के लिए चिंता का विषय है। अस्पताल में नवजात शिशुओं की मृत्यु की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि बार-बार इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो। उपचार की व्यवस्था ऐसी हो जिससे किसी के भी घर की खुशियां नहीं उजड़े।
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