आज मैं लो फ्लोर बस रूट नं. 26 में अजमेर पुलिया, हथरोई से चांदपोल जाने के लिए चढ़ा। बस लगभग सत्तर प्रतिशत खाली थी क्योंकि तीन स्टॉप के बाद उ...
आज मैं लो फ्लोर बस रूट नं. 26 में अजमेर पुलिया, हथरोई से चांदपोल जाने
के लिए चढ़ा। बस लगभग सत्तर प्रतिशत खाली थी क्योंकि तीन स्टॉप के बाद उसेचांदपोल खाली होना ही था। अतः कण्डक्टर महोदया मुँह पर कपड़ा बांधे आराम
से पांव ऊपर किये मोबाइल में ध्यान मग्न थीं। महिला की शारीरिक बनावट,
अच्छा लंबा कद, गौरवर्ण, नाक नक्शा सुन्दर, हष्ट-पुष्ट, बॉलीवुड की निगाह
पड़ जाये तो हीरोइन की ऑफर दे दें। मगर अफसोस कि मेरे दस रूपए का सिक्का
देने पर और गौरमेंट हॉस्टल की टिकिट मांगने पर उन्होंने खुल्ले नहीं
मांगे और मुझे 5 रूपए का सिक्का वापस देकर मोबाइल से फिर नाता जोड़ लिया।
मैंने ध्यान बंटाया कि मुझे सात रूपए का सीनियर सिटीजन का टिकिट चाहिए तो
बोली 'खुल्ले दो'। 'दस रूपए खुल्ले दिए तो हैं, आप भी ज़रा बैग में तकलीफ
करके चेंज सम्भालिए।' तब उन्होंने सात रू. की टिकिट देकर मुझे दो का
सिक्का लौटाते हुए कहा कि एक रूपया उतरती दफा ले लेना।'
मैं मन ही मन सोचता रहा कि नई नवेली दुल्हन सी लग रही है, हाथों में भारी
चूड़ा पहना है मगर बिना टिकट दिए सवारी के पांच रूपए हड़पने की आज के यूथ
की क्या परम्पराएं चल पड़ी हैं। देश का नुकसान जैसी जे.सी.टी.एस.एल. का
नुकसान, अपने चरित्र का नुकसान, सिर्फ पांच रूपए के ख़ातिर। बहुत शर्मनाक
है।
उतरती दफा मांगने पर एक रूपया तो उस कन्या ने लौटा दिया मगर मैंने जो कहा
वह उसे बिना उत्तर दिए झेलना पड़ा। 'इस प्रकार से पांच रूपए हड़पने से
ज़िन्दगी नहीं चला करती। बल्कि आप अपने कार्यों से उस भविष्य को बिगाड़
दोगी जो शादी के बाद का सुनहरा समय आने वाला है। जिसको टिकट नहीं दिया वह
दुखी, आपने गलत पांच रूपए कमाए, आपकी अन्तरात्मा कचोटेगी अवश्य, तीसरे ने
जिसने देखा उसकी नज़र में आप गिर र्गइं। मेरा क्या, मैं तो दुबारा आपको
नहीं मिलूंगा क्योंकि मैं तो टैक्सी में चलने वाला इन्सान हूँ। बस यूं ही
कभी-कभी ज़िन्दगी की सच्चाई से रूबरू होने के लिए एक दो स्टॉप तक बस में
चला जाता हूँ।
साथ में दिए गए टिकट से विवरण मिल जाएगा कि बस का नं.आर जे 14 पीसी 7231,
रूट नं.26, हरी लो-फ्लोर, समय सुबह 9.40 का, हथरोई से चांदपोल जा रही थी।
-लियाक़त अली भट्टी
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