क्रिटीकल केयर पर इंटरनेशनल कांफ्रेस शुरु, विशेषज्ञों ने बताईं नई तकनीकें जयपुर। मरीज का हार्ट फेल हो गया , शरीर में संक्रमण भी बहुत ज्या...
क्रिटीकल केयर पर इंटरनेशनल कांफ्रेस शुरु, विशेषज्ञों ने बताईं नई तकनीकें
जयपुर। मरीज का हार्ट फेल हो गया, शरीर में संक्रमण भी बहुत ज्यादा है। साथ ही फेफड़ों ने भी काम करना बंद कर दिया है। ऐसे मृतप्राय: मरीज की भी जान बचाई जा सकती है। इसके इलाज के लिए विदेशों में काम ली जा रही अत्याधुनिक वीए एक्मो तकनीक अब हमारे डॉक्टर भी कर सकेंगे। जयपुर में शनिवार से शुरू हुई दो दिवसीय क्रिटीकल केयर कांफ्रेंस में देश-विदेश के विशेषज्ञों ने आईसीयू में गंभीर मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए काम ली जा रही नई तकनीकों की जानकारी दी।
इटरनल क्रिटीकॉन-2019 इंटरनेशनल कांफ्रेंस का आयोजन यहां इटरनल हॉस्पीटल में किया जा रहा है। शनिवार को प्रमुख चिकित्सा सचिव रोहित कुमार सिंह व हॉस्पीटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा ने कांफ्रेंस का उद्घाटन किया। इस मौके पर कांफ्रेंस के चेयरमेन डॉ. आर.एस. खेदड व संरक्षक डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि, कांफ्रेंस में दुनिया में क्रिटीकल केयर के जाने माने विशेषज्ञ फ्रांस के प्रो. जीन लुईस टेबॉउल मुख्य आकर्षण हैं। इनके अलावा इंगलेंड व देश के विभिन्न राज्यों से 150 से ज्यादा प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। डॉ. खेदड़ ने बताया कि कांफ्रेंस का मुख्य उद्देश्य नए चिकित्सकों को आईसीयू मेनेजमेंट व क्रिटीकल केयर में काम ली जा रही अत्याधुनिक तकनीकों की जानकारी देकर अपडेट करना है। कांफ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ. वैभव भार्गव व डॉ. किशोर मंगल ने बताया कि, इसमें हैंड्स ऑन वर्कशॉप में आईसीयू में गंभीर मरीज की अल्ट्रासाउंड से लेकर अन्य जरूरी जांचे बैड पर ही किस तरह की जा सकती है, इसका लाइव डेमो किया गया।
प्रोन पोजीशन वेंटीलेशन -
कांफ्रेंस में गुडगांव के डॉ. सुमित राय ने फेफड़ों में श्वसन क्रिया नहीं हो पाने पर विदेशों में काम ली जा रही प्रोन पोजीशन वेंटीलेशन तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आईसीयू में मरीज को आमतौर पर सीधा लिटा कर ही वेंटीलेशन किया जाता है, मगर नई तकनीक में उल्टा लिटाया जाता है। इससे फेफडे का पिछला भाग सक्रिय हो जाता है और ऑक्सीजन लेवल ठीक हो जाता है। इससे मरीज को सांस भी अच्छे से आने लगती है। एक सत्र में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रविन्द्र सिंह राव ने बताया कि जिन मरीजों को हार्ट अटैक आता है, साथ ही उन्हें लॉ बीपी की समस्या होती है, उन्हें इम्पेला एंजियोप्लास्टी से बचाया जा सकता है।
कृत्रिम हार्ट व फेफड़े बचाएंगे जान -
कांफ्रेंस में विशेषज्ञों ने बताया कि ऐसे अत्यधिक गंभीर मरीज, जिनका हार्ट फेलियर है, ऑक्सीजन नहीं मिल रही, फेफड़े भी सपोर्ट नहीं कर रहे हैं,मरणासन्न स्थिति में ऐसे मरीजों के लिए वीए एक्मो तकनीक जीवनदायिनी साबित होती है। एक तरह से मशीनी कृत्रिम हार्ट व कृत्रिम फेफड़े मरीज की जान बचाते हैं। इस तकनीक में मरीज के शरीर का पूरा खून मशीन से बाहर निकालते हैं, फिर उसमें जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन शामिल कर प्रेशर से वापस शरीर में प्रवाह किया जाता है। इससे बीपी तो ठीक होता ही है, फेफड़ो व हार्ट में खून में ऑक्सीजन की मात्रा भी सही हो जाती है। डॉ. किशोर मंगल ने बताया कि यह तकनीक इटरनल हॉस्पीटल में भी काम ली जा रही है।
COMMENTS